पहाड़ - जन्नत।

 


जब जब कुदरत को निहारने के लिए घूमने का सोचूं

भ्रमण के लिए निकल जाती हूं।

यात्रा करना किसे नहीं पसंद? मैं भी उत्साह से भर जाती हूं।

तुझसे दूर रह कर कुछ खोया सा लगता है 

तुझमें ऐसी क्या बात है जो तू औरों से भिन्न चमकता है?

ये निर्मल वातावरण तेरा, ये शीतल हवा 

ये जादू तूने कुछ हटके किया 

तू दूर रहकर भी पास सा लगता है 

हृदय में मेरे तू ही रहता है 

हर जगह थोड़ी पहाड़ों जैसा अच्छा लगता है 

ये आनंद सिर्फ तेरी घटाओं में है 

ये हरियाली का हरा रंग सिर्फ तुझमें रंगता है 

तू इसीलिए तो अपना सा लगता है।

इतना पवित्र की तेरी महक से मेरा हर दिन सुधरता है 

झील, झरनों के ठंडे पानी को स्पर्श करते ही ताज़गी का अहसास होता है 

इसीलिए तो पहाड़ों में रहने से अनोखा सा महसूस होता है।

आंखे चमक उठती है तेरी खूबसूरती को देख

इतना सुंदर की लिखदू तुझपे बड़ा सा लेख 

पर इतने शब्द इस कवयित्री के पास कहां?

इसीलिए पहाड़ों को सबसे रम्य कहा।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

She Is Undaunted!

First Step Into The Journey Of A Poet

I WISH I COULD