एक आशिक़ ऐसा भी ।

 एक आशिक़ ऐसा भी ।


थोड़ा वक्त उनके संग बिताया
तो यह मालूम हो पाया
कि वो इस रिश्ते को सिर्फ दोस्ती नहीं
बल्कि एक दिलकशी, एक तवज्जह समझते थे।
हमें क्या पता था?
कि वह हमें सिर्फ एक दोस्त नहीं
बल्कि अपनी पहली मोहब्बत समझते थे।

पर, ना जाने क्यों? 
वे इजहार करने से डरते थे।
हम इंतज़ार करते रह गए
पर वो तो खामोश रहना पसंद करते थे।
पता नहीं कैसे?
पर अपने इस तर्ज़ - ए - अमल से
वो मुझे भी अपनी ओर आकर्षित कर चुके थे।

हम भी उनके इस अनोखे प्यार को
उनकी रह - ए - उल्फत समझते थे।
अपने जज़्बात और प्यार का हमसे इज़हार नहीं करते तो क्या हुआ?
अब तो हम भी उन्हें अपना खास और खामोश आशिक़ समझने लगे थे।

रातों में नींद उन्हें कम आने लगी है,
हम जो रहते हैं उनकी यादों में
हमें देख बिना उनका मन नहीं लगता
हम जो रहते हैं उनके ख़्वाबों में
चाहते तो है वो हमारे साथ वक्त गुजारना
हमारे साथ बिताए हुए समय को वे बेहतरीन भी समझते है
बस खोलते नहीं अपने दिल का राज़ वो हमसे
क्योंकि वो तो खामोश रहना पसंद करते हैं।

जहां मै न दिखू, वहां मुझे वो ढूंढा करते
और जब मै दिख जाऊ, तो बस मुझे ही ताकते
उनके लिए मैं ही उनकी कायनात हूं
यही समझकर, वो बस, मेरी खूबसूरती निहारा करते
जहां हमारी नजरे उनसे मिलती
वे शर्माकर मुस्कुरा देते
क्या हकीकत जाने हम उनसे?
उनकी तो मुस्कुराहट ही बता देती है
कि वो हमसे कितनी मोहब्बत है करते
बस ये है कि वो छुपाना है पसंद करते।

हमें देखने के लिए वो मरते है
हमसे बात करने को वो तरसते है
जब बिता ले समय उनके साथ थोड़ा
तो उसे वो अपनी ज़िंदगी का एक शानदार पल समझते है।
क्या करे?
वो हमसे मोहब्बत ही इतनी करते हैं।
हा, ये है कि बस,
इजहार करने से डरते है।

चाहते तो है वो हमारे साथ समय बिताना
चाहते तो ये भी है
हमे अपने दिल की बात बताना
पर ये भी जानते है
कि आसान नहीं है हमको पाना।
जो रहता है कभी साथ,
उस पड़ता ही है फिर छोड़कर जाना

शायद इसी डर से हमारे खामोश आशिक़ हमे बता नहीं पाए
अब ज़रा हमसे भी पूछो, क्या है हमारी राय

जरूरी नहीं वो चेहरा जो आज हमे देखकर मुस्कुराता है
कल भी हमारे जिस्म से उतनी ही मोहब्बत कर पाएगा
आज जो हमे देखने को तरसता है
कल वो किसी और का हो जाएगा।

पर हमारे यार का तो अंदाज़ ही अलग है
क्या पता वो यह रिश्ता सदैव निभाएगा?

न निभा पाए तो भी हमें शिकायत नहीं
क्योंकी इतनी हमें किसी से उम्मीद नहीं
पर इतना ज़रूर यकीन है हमें
कि हमारे जिस्म की खूबसूरती में डूबे है वो
इजहार नहीं करते तो क्या हुआ?
मोहब्बत तो हमसे बेशुमार करते हैं वो।

~ वेदिका भट्ट 



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